अन्न का दान महादान। इस मान्यता के बारे में तो आपने सुना ही होगा। हमारे पूर्वजों ने कहा है कि भूखे को खाना खिलाने से पुण्य मिलता है। हमारे सारे पाप धुल जाते हैं। इस सबके बीच सबसे बड़ा प्रश्न यह भी उठता है कि आखिर आजादी के 75 साल बाद भी लोग भूख से क्यों मरने को मजबूर हैं? क्या हमारी सरकारें सिवाए वादों के कुछ नहीं कर रही हैं?
गरीब और अधिक गरीब हो रहा है
सही मायनों में इन प्रश्नों का जवाब है भ्रष्टाचार। जी हां, सरकारें तो गरीबों के लिए कई योजनाएं चलाती हैं लेकिन इनको जमीन पर कारगर साबित करने के लिए बैठे अफसर सारा धन, सारा लाभ अकेले ही डकार जाते हैं जिसकी वजह से गरीब और गरीब होता जाता है। बहरहाल, आज हम आपको एक ऐसे व्यक्ति के विषय में बताने जा रहे हैं जो गरीबों के लिए किसी रहनुमा से कम नहीं है।

1 रुपये में मिलता है भोजन
हम बात कर रहे हैं दिल्ली के नांगलोई स्थित श्याम रसोई की जो सुबह 11 बजे से 1 बजे तक लोगों को अच्छा भोजन महज़ 1 रुपये में मिलता है। हैरानी की बात ये है कि इस रसोई के आगे सिर्फ गरीब ही नहीं अमीर भी लाइन लगाकर अच्छा भोजन सस्ते में खाने के लिए खड़े होते हैं।
जानकारी के मुताबिक, श्याम की रसोई में मिलने वाली थाली में चावल, रोटी, सोया पुलाव, पनीर, सोयाबीन और हलवा शामिल होता है। यह मेन्यु हर दिन बदला भी जाता है। इसके अलावा सुबह के वक्त यहां चाय भी 1 रुपये में मिलती है।
इस रसोई के मालिक का नाम परवीन कुमार गोयल है। 51 वर्षीय यह शख्स पिछले दो महीने से दिल्ली के नांगलोई में श्याम रसोई चला रहा है। इस विषय में बात करते हुए परवीन ने मीडिया कर्मियों से कहा कि, “हम यहां 1,000 से 1,100 लोगों को खाना खिलाते हैं और तीन ई-रिक्शा के जरिए इंद्रलोक, साई मंदिर जैसे आस-पास के इलाकों में पार्सल भी उपलब्ध कराते हैं। श्याम रसोई में लगभग 2,000 दिल्लीवासी भोजन करते हैं।”
लोगों से मिलता है दान
परवीन ने आगे कहा कि, “हमें लोगों से दान मिलता है। कल एक बूढ़ी औरत आई और हमें राशन देने की पेशकश की। दूसरे दिन किसी ने हमें गेहूं दिया और इस तरह हम पिछले दो महीनों से इसे चला रहे हैं। लोग डिजिटल भुगतान मोड के माध्यम से भी हमारी मदद करते हैं। हमारे पास सात और दिन चलने की क्षमता है। साथ ही, मैं सभी से अनुरोध करता हूं कि वे राशन की मदद करें और इस सेवा को जारी रखें।”
बता दें, वर्तमान समय में गोयल की इस श्याम रसोई में 6 हेल्पर कार्य करते हैं। वह बिक्री के आधार पर इन वर्कर्स को 300-400 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से देते हैं। वहीं, कुछ स्थानीय छात्र भी उनकी मदद के लिए आगे आते हैं।
मालूम हो, श्याम की रसोई में पहले इस थाली की कीमत 10 रुपये थी। लेकिन 2 महीने पहले श्याम ने और अधिक लोगों को आकर्षित करने के लिए इसे 1 रुपये की कर दी। उनकी यह रसोई रंजीत सिंह नामक व्यापारी की दुकान में चलती है।