कहते हैं ‘आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है’। बुजुर्गों द्वारा अक्सर उपयोग में लाई जाने वाली इस कहावत को सार्थक रुप दिया था भारत के एक ऐसे नौजवान ने जिन्होंने किचन में खराब हुई मिक्सी को रिपेयर कराने की बजाए एक नई मिक्सी ही बना डाली। जी हां, हम बात कर रहे हैं भारत के पहले स्वदेशी मिक्सर-ग्राइंडर ‘सुमीत मिक्सर’ की। इसका निर्माण पेशे से इंजीनियर रहे सत्यप्रकाश माथुर ने किया था। इसका आइडिया उन्हें अपनी पत्नी माधुरी माथुर के साथ हुई घटना से मिला था।
यह बात है साल 1963 की। उन दिनों भारत में मिक्सी का इतना विस्तार नहीं हुआ था। यहां सिर्फ विदेशी कंपनियों के ही प्रोडक्ट्स बेचे जाते थे। जिनके बिगड़ने पर उन्हें ठीक कराने के लिए भी जल्दी कोई नहीं मिलता था।
पत्नी ने दिया चैलेंज

ऐसा ही एक बार सत्यप्रकाश के साथ हुआ था। उनकी पत्नी किचन में मिक्सी में कुछ मसाले पीस रही थीं कि तभी वह अचानक से खराब हो गई। इस दौरान उन्होंने अपने पति को चुनौती दी कि अगर आप सच में इंजीनियर हैं तो इस मिक्सी को ठीक करके दिखाएं। पत्नी के द्वारा दिया गया यह चैलेंज सत्यप्रकाश की जिंदगी में एक मौका बनके आया था।
कमी का लगाया पता
उन्होंने इसे स्वीकार किया और सबसे पहले मिक्सी में होने वाली खराबी के विषय में जाना। उन्होंने देखा कि ब्रॉन ब्रांड की यह मिक्सी विदेशी मसालों और उनकी जरुरतों के हिसाब से तैयार की गई थी जबकि भारतीय मसाले कड़क होते हैं। यही कारण था कि विदेशी ब्रांड की मिक्सी कुछ ही दिनों में खराब हो जाती थी।
नई मिक्सी का किया आविष्कार
बस कमी का पता लगाने के बाद सत्यप्रकाश ने पुरानी मिक्सी को ठीक करने की बजाए नई मिक्सी तैयार करने का फैसला लिया और जुट गए। कई दिनों की मेहनत के बाद आखिरकार उन्होंने भारत की पहली स्वदेशी मिक्सी तैयार कर ली। उनके इस कारनामे की सभी ने तारीफ की जिससे उन्हें आइडिया आया कि क्यों ना इसे घर-घर तक पहुंचाया जाए।
बॉस को पसंद आया आइडिया
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, साल 1963 में सत्यप्रकाश सीमेंस नाम की कंपनी में कार्यरत थे। उन्होंने अपने बॉस को अपने द्वारा किए गए इस आविष्याकर के विषय में बताया और उनसे आग्रह किया कि वे एक नई कंपनी खोल दें जो कि सिर्फ मिक्सर ग्राइंडर ही डेवलप करेगी। सत्यप्रकाश के बॉस को उनका यह आइडिया काफी पसंद आया। उन्होंने झट से इसके लिए हां कर दी।
स्वदेशी मिक्सर कंपनी की हुई शुरुआत
जानकारी के अनुसार, 1963 में सत्यप्रकाश ने ‘पावर कंट्रोल एंड अप्लायंसेज कंपनी’ के नाम से शुरुआत की और मिक्सी बनाना प्रारंभ किया। उन्होंने इस मिक्सी का नाम सुमीत मिक्सी रखा। दरअसल, भारत में मिक्सी को रसोई में महिलाओं की सबसे खास सहेली माना जाता है और सुमीत का अर्थ होता है अच्छा दोस्त। इसलिए सत्यप्रकाश ने यह नाम फाइनल किया।
20 सालों तक बिना शिकायत के चलती थी मिक्सी कुछ ही सालों में भरतीय बाजार में यह मिक्सी इतनी पॉपुलर हुई जिसका कोई जवाब नहीं। 80 के दशक में आलम यह था कि हर महीने 60,000 मिक्सी की सेल कंपनी करती थी। गौरतलब है, भारत की पहली स्वदेशी मिक्सी काफी भरोसमेमंद थी। लोगों का मानना है कि यह मिक्सी 20 सालों तक चलती थी।