कहना आसान होता है लेकिन उसे करना और भी कठिन। यह कहावत तो आपने सुनी ही होगी। इसमें जो सच्चाई निहित है जिसने उसे जान लिया जान लीजिये उस व्यक्ति को सफलता की सीढ़ी पर चढ़ने से कोई रोक नहीं सकता। आज हम आपको एक ऐसे शख्स के विषय में बताने जा रहे हैं जिसने अपनी मेहनत के दमपर एक ऐसी कंपनी खड़ी की जिसकी मार्केट वैल्यू आज अरबों में है।
यह शख्स कोई और नहीं भारत की फास्टेस्ट ग्रोइंग ऑनलाइन ट्रॉजैक्शन वेबसाइट पेटीएम के संस्थापक विजय शर्मा हैं।
विजय का जन्म अलीगढ़ के एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था। इनके पिता अध्यापक थे और माता साधारण गृहणी। घर की आर्थिक स्थिति इतनी मजबूत नहीं थी कि पड़ोसियों के बच्चों की तरह विजय को भी इंग्लिश मीडियम में भेजा जाए। इसलिए विजय ने 12वीं तक की पढ़ाई हिंदी मीडियम से ही की।
विजय बचपन से ही कुछ बड़ा करने की चाहत रखते थे। इसके लिए उन्होंने दिल्ली की तरफ रुख किया। यहां उन्होंने कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में एडमिशन लिया और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं कम्युनिकेशन के विषय में ग्रेजुएशन की पढ़ाई शुरु कर दी।
यही वह दौर था जब विजय अपनी क्षमताओं को निखारने के लिए प्रेरित हुए थे। हिंदी मीडियम से होने की वजह से कई बार उनका मजाक उड़ाया जाता था। इंग्लिश की वजह से कई टॉपिक्स उन्हें समझ भी नहीं आते थे। तभी विजय को कुछ ऐसे दोस्त मिले जिन्होंने इंग्लिश सीखने में उनकी सबसे अधइक सहायता करी। इनके साथ मिलकर विजय ने सबसे पहले इंग्लिश सीखी। उसके बाद निश्चय किया कि अब वे भी कुछ करके दिखाएंगे।
साल 1997 में अपनी पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने Indiasite.net नाम की वेबसाइट की शुरुआत की। इसको उन्होंने ही डिजाइन किया था। इस वेबसाइट के जरिये यूजर्स घंटो लाइन में लगने की बजाए आसानी से घर बैठकर किसी भी फॉर्म की डिटेल्स निकालकर भर सकते थे।
विजय द्वारा डिजाइन की गई यह वेबसाइट बहुत सफल हुई थी। इसके बाद विजय ने इसे 1 मिलियन डॉलर में इसे एक अमेरिकन कंपनी के हाथों बेंच दिया। यहीं से विजय ने ठान लिया कि अब वे बिजनेस करेंगे और उसे बड़ा बनाएंगे।
वर्ष 2001 में विजय ने एक बार फिर एक वेबसाइट का निर्माण किया। इसका नाम था one97 कम्युनिकेशन्स। इसके जरिये यूजर्स को न्यूज, क्रिकेट स्कोर, रिंगटोन, जोक्स और एग्जाम रिजल्ट जैसी जानकारी मिलती थी।
हालांकि, यह कुछ खास नहीं कर पाई।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, विजय को पेटीएम का आइडिया साल 2010 में आया था। वे अक्सर देखा करते थे कि लोगों को किराने का सामान लेने के लिए या फिर ऑटोवाले को पैसे देने के लिए छुट्टे पैसों की जरुरत पड़ती थी।
लोगों की इसी समस्या पर गौर फरमाते हुए विजय के दिमाग में एक आइडिया आया कि क्यों ना एक ऐसे ऐप का निर्माण किया जाए जिसके यूज से बिना किसी झंझट के आसानी से ट्रांजैक्शन किये जा सकें। तब उन्होंने काफी दिनों की मेहनत के बाद पेटीएम एप का निर्माण किया। उन दिनों इस एप पर सिर्फ प्रीपेड रिचार्ज और डीटीएच रिचार्ज की सुविधा उपलब्ध थी। बाद में इलेक्ट्रिसिटी और गैस के बिल के भुगतान की भी सुविधा जोड़ दी गई। ऐसे ही ये एप धीरे धीरे ऑनलाइन ट्रांजैक्शन की सुविधा देने लगा।
गौरतलब है, पेटीएम के लिए चेंजिंग ईयर साबित हुआ 2016 इस साल प्रधानमंत्री मोदी ने नोटबंदी का फैसला लेते हुए कैशलेस इकनॉमी को बढ़ावा देने पर ज़ोर दिया। पीएम के इस निर्णय ने पेटीएम को अर्श से फर्श पर पहुंचा दिया। लोगों ने ऑनलाइन ट्रॉजैक्शंस के लिए पेटीएम का सहारा लेना शुरु कर दिया। जानकारी के मुताबिक, पेटीएम के मालिक विजय शेखर शर्मा आज की तारीख में 230 करोड़ डॉलर के मालिक बन चुके हैं।