कई बार लोग अपनी शारीरिक कमियों के पीछे छुपकर अपनी असफलता को जस्टीफाई करने लगते हैं। वे तरह-तरह के बहाने बनाकर खुद से झूठ बोलते हैं। हालांकि, सच्चाई इससे परे होती है। माना जाता है कि इंसान अगर चाह ले तो भगवान को भी प्रकट कर सकता है फिर सफलता तो बहुत छोटी सी चीज़ है।
आज हम आपको ऐसे ही एक महिला के विषय में बताने जा रहे हैं जिन्होंने अपनी शारीरिक कमियों के चलते कभी अपने सपनों से समझौता नहीं किया। उन्होंने अपनी मेहनत से सफलता को अपने कदमों में झुकने पर मजबूर कर दिया। इस महिला का नाम प्रांजल पाटिल है। इनका जन्म महाराष्ट्र के उल्हासनगर में हुआ था। 6 साल की उम्र में वे एक हादसे का शिकार हो गई थीं जिसमें उनकी एक आंख खराब हो गई थी। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और डटी रहीं।
बचपन में हुईं हादसे का शिकार

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, प्रांजल जब 6 वर्ष की थीं तब उनके साथ पढ़ने वाले एक छात्र ने उनकी आंखों में धोखे से पेंसिल चुभा दी थी। जिसकी वजह से उनकी एक आंख हमेशा-हमेशा के लिए खराब हो गई। वे पढ़ना चाहती थीं इसलिए उनके माता-पिता ने उनका दाखिला मुंबई के दादर स्थित श्रीमती कमला मेहता स्कूल में करा दिया। यह स्कूल नेत्रहीनों बच्चों के लिए खोला गया था। इसमें स्पेशल बच्चों को पढ़ना-लिखना सिखाया जाता था।
अपनी प्राथमिक शिक्षा इस स्कूल से पूरी करने के बाद प्रांजल ने सेंट जेवियर्स स्कूल से अपना ग्रेजुएशन पूरा किया। इसके बाद उन्होंने एमए किया और फिर एमफिल किया। जानकारी के अनुसार, एमए और एमफिल की पढ़ाई के दौरान प्रांजल ने फैसला किया कि वे यूपीएससी की तैयारी करेंगी। उन्होंने ऐसा ही किया। अपनी शारीरिक कमियों से जूझते हुए उन्होंने दिन-रात एक करके यूपीएससी की तैयारी शुरु कर दी। इसके लिए उन्होंने तमाम ऐसे सॉफ्टवेयर्स की मदद ली जो नेत्रहीन बच्चों को पढ़ाने के लिए उपयोग किए जाते हैं।
773वीं रैंक लाकर बनीं IAS
इनकी सहायता से प्रांजल ने अपनी मेहनत दुगुनी कर दी जिसका नतीजा ये रहा कि साल 2017 में उन्होंने यूपीएससी का एग्जाम पास कर लिया। प्रांजल ने अपनी मेहनत के दमपर ऑल इंडिया 773वीं रैंक लाकर आईएएस का पद हांसिल किया।
गौरतलब है, वर्तमान में वे तिरुवनंतपुरम में सब कलेक्टर के पद पर तैनात हैं। प्रांजल की ये कहानी आज उन तमाम लोगों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बन चुकी है जो शारीरिक समस्याओं के चलते अपने सपनों को पूरा नहीं कर पाते हैं।