कहते हैं दुनिया के सबसे कठिन कार्यों में सच्चाई के साथ खड़े रहना होता है। ज्यादातर लोगों को सच्चाई की कीमत अपनी पूरी जिंदगी दांव पर लगाकर देनी पड़ती है। और बात जब सरकारी ऑफिसर की हो तो कई बार उसको तबादलों और सस्पेंशन का भी दंश झेलना पड़ता है। आज हम आपको एक ऐसे व्यक्ति के विषय में बताने जा रहे हैं जिसने अपने अब तक के करियर में कुल 53 तबादले झेले हैं। हम जिस व्यक्ति की बात कर रहे हैं उसका नाम अशोक खेमका है। हरियाणा कैडर के सुप्रसिद्ध आईएएस अधिकारी खेमका ने अपने 28 साल के करियर में न जाने कितने तबादले झेले। कहा जाता है कि वे जिस भी विभाग में गए वहां उन्होंने 6 महीने से अधिक का समय कभी बिताया ही नहीं।
1991 में बने IAS

बता दें, 30 अप्रैल 1965 को कोलकाता के एक साधारण से परिवार में एक बच्चे का जन्म हुआ था। देखने में यह बालक काफी सुंदर था और मनमोहक छवि का मालिक था। लेकिन उस वक्त यह कोई नहीं जानता था कि ये लड़का आगे चलकर सरकारों और विभागों को नाकों चने चबाने के लिए मजबूर करने वाला था। ये लड़का कोई और नहीं बल्कि अशोक खेमका ही थे। शुरुआत से आईएएस ऑफिसर बनने की चाहत रखने वाले खेमका ने साल 1988 में आईआईटी खड़कपुर से कंप्यूटर साइंस में इंजीनियरिंग की। इसके बाद उन्होंने मुंबई स्थित टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च से कंप्यूटर साइंस में पीएचडी की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने सिविल सर्विसेज की तैयारी की और 1991 में आईएएस अधिकारी बन गए। उन्हें हरियाणा कैडर मिला था।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अशोक खेमका को उनकी पहली पोस्टिंग हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल के कार्यकाल के दौरान मिली थी। यह साल था 1993 जब खेमका ने बागी तेवर अपनाया था। यही कारण था कि खेमका को स्व. भजनलाल के कार्यकाल में 6 बार तबादले झेलने पड़े। ऐसा ही हाल पूर्व सीएम बंसीलाल के कार्यकाल में भी रहा। इस दौरान भी खेमका का 5 बार ट्रांस्फर हुआ और उन्हें एक जगह से दूसरी जगह शिफ्ट किए जाने का सिलसिला चलता रहा।
हैरानी की बात ये है कि खेमका कभी इन तबादलों से डरे नहीं। उन्हें सच्चाई उजागर करने से कोई नहीं रोक सकता था ये बात उन्होंने साबित करके दिखा दी थी। खेमका जिस भी विभाग में गए वहां हो रहे घोटालों को उजागर करते रहे और तबादलों का तोहफा स्वीकार करते रहे।
रॉबर्ट वाड्रा पर डाला था हाथ
माना जाता है कि अशोक खेमका ने सबसे बड़ा घोटाला उस वक्त उजागर किया था जब उन्होंने सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा पर गुरुग्राम की जमीनों पर किए जा रहे घोटाले को उजागर किया था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह घोटाला 20 हजार करोंड़ से लेकर 3,50,000 करोंड़ के बीच का था। इसमें खेमका ने गुड़गांव तथा आसपास के इलाकों में चल रहे जमीनी घोटालों का पर्दाफाश किया था। तत्कालीन सत्ताधारी पार्टी की अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद पर आरोपों की बौछार करने के बाद अशोक खेमका का नाम मीडिया में छा गया था। उस वक्त आईएएस अधिकारी ने खूब सुर्खियां बटोरी थीं। हालांकि, यहां पर भी उन्हें ट्रांस्फर ही हाथ लगा।
तबादलों के अलावा मिला सम्मान
गौरतलब है, अशोख खेमका ने अपने करियर में भले ही तबादलों का दंश झेला हो, सरकार ने उनकी मेहनत और इमानदारी का सिला ट्रांसफर के रुप में दिया हो लेकिन कुछ संस्थाओं ने उनकी इसी इमानदारी के लिए उन्हें सम्मानित किया। साल 2011 में भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों के खिलाफ युद्ध छेड़ने के लिए उन्हें एस.आर जिंदल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। इसके साथ उन्हें 10 लाख रुपये की ईनाम की राशी दी गयी थी। इसके अलावा उन्हें लोक कल्याण कार्यों के लिए मंजूनाथ शानमूंगम ट्रस्ट की तरफ से भी सम्मानित किया था।