भले ही आप मीठे के शौकीन न हों लेकिन आपके घर में कोई न कोई मिठाई तो रखी मिलेगी ही। चलिए कुछ नहीं तो चीनी और गुड़ तो निकल ही आएगा जिसका आप रात-बिरात भूख लगने पर सेवन करते होंगे। वैसे तो भारत में कई तरह की मिठाइयां प्रसिद्ध हैं इनमें बरफी, गुलाब जामुन, रस मलाई आदि आती हैं लेकिन एक मिठाई ऐसी भी है जिसका इतिहास काफी पुराना रहा है।
हम बात कर रहे हैं भारत की सबसे लोकप्रिय मिठाई लड्डू की। दरअसल, लड्डू को भारत में सबसे सस्ती और स्वादिष्ट मिठाई माना जाता है। इसके प्रति लोगों की दीवानगी अलग ही देखने को मिलती है। शादी-बारात से लेकर पूजा-पाठ जैसे कार्यों में इस मिठाई का विशेष महत्व होता है। लोग अपनी खुशी जाहिर करने के लिए लड्डूओं का वितरण करते हैं।
लड्डूओं का इतिहास

लेकिन क्या आपको पता है कि लड्डू का इतिहास काफी पुराना है। माना जाता है कि आज से 400 ईसा पूर्व सुप्रसिद्ध भारतीय शल्यचिकित्सक सुश्रुत लड्डूओं का उपयोग दवा के रुप में करते थे। वे अपने मरीजों को गुड़, शहद और पोषण तत्वों से मिलाकर बनाए गए लड्डू दिया करते थे।
यही कारण है कि आज भी तिल, गुड़ और शहद के लड्डूओं को सर्दियों के दिनों में घरों में बनाया जाता है। माना जाता है कि ये ल़ड्डू स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होते हैं।
अलग-अलग जगहों पर प्रसिद्ध हैं लड्डू
हालांकि, जैसे-जैसे समय बदलता गया लड्डूओं का मह्तव और उनको बनाने के तरीकों में भी परिवर्तन होने लगा। क्षेत्र के हिसाब से भी लड्डूओं में वैराइटी आ गई है जैसे कि उत्तर प्रदेश और राजस्थान के मोतीचूर के लड्डू, दक्षिण भारत के नारियल के लड्डू, महाराष्ट्र के तिल और गुड़ के लड्डू। ऐसे ही तमाम जगहों पर अलग-अलग प्रकार के लड्डू बनाए जाते हैं।
पहले के ज़माने में लड्डूओं को बनाने के लिए गुड़ और शहद का उपयोग किया जाता था। लेकिन अंग्रेजों के भारत में आने के बाद इसे और अधिक मीठा करने के लिए उन्होंने लड्डूओं में चीनी का उपयोग करना शुरु कर दिया। धीरे-धीरे चीनी की मिठास लोगों की जुबान पर चढ़ गई जिसका नतीजा यह हुआ कि गुड़ के लड्डूओं का चलन खत्म हो गया।
चिकित्सकों के मुताबिक, गुड़ के लड्डूओं का सेवन करने से डायबिटिज़ आदि की समस्या नहीं होती थी लेकिन जब से इन लड्डूओं में चीनी का उपयोग किया जाने लगा लोगों को दिक्कतें होने लगी हैं।
ठग्गू के लड्डू!
गौरतलब है, आप सबने कानपुर के सुप्रसिद्ध ठग्गू के लड्डू का नाम तो सुना ही होगा। जी हां, वही एकमात्र हलवाई जिसने खुद को इमानदार बोलने की बजाए महाठग घोषित कर दिया। इस दुकान की शुरुआत राम अवतार यादव ने की थी। उन्होंने अपने लोगों को चीनी के सेवन से बचाने के लिए इस दुकान की शुरुआत कानपुर में की थी।
इस दुकान की टैगलाइन भी काफी जोरदार रखी गई थी जिसने इसके प्रसिद्ध होने में काफी बड़ी भूमिका निभाई। दुकान के बाहर लगे बोर्ड में आज भी लिखा है, ‘ऐसा कोई सगा नहीं, जिसको हमने ठगा नहीं।’ इस दुकान में हर तरह के लड्डू बनाए जाते हैं जिन्हें पूरी शुद्धता के साथ तैयार किया जाता है।