आप सबने महिंद्रा एंड महिंद्रा का नाम तो सुना ही है लेकिन क्या आपको पता है कि इसका नाम पहले महिंद्रा एंड मोहम्मद हुआ करता था। जी हां आपको जानकर हैरानी होगी कि इसका नाम आजादी के बाद बदलकर महिंद्रा एंड महिंद्रा किया गया था।
इस कंपनी की शुरुआत जगदीश चंद्र महिंद्रा, कैलाश चंद्र महिंद्रा और मलिक गुलाम मोहम्मद ने साल 1945 में की थी। ऑटोमोबाइल से पहले यह कंपनी स्टील का काम करती थी। सबकुछ ठीक चल रहा था लेकिन 1947 में बंटवारे की त्रासदी में इस कंपनी की भी हालत खस्ता हो गई। महिंद्रा ब्रदर्स के साथ बिजनेस में पार्टनर मलिक गुलाम मोहम्मद ने पाकिस्तान जाकर रहने का फैसला कर लिया। वे एम एंड एम से अलग होना चाहते थे। इसके बाद वे अलग हो गए और पाकिस्तान जाकर बस गए। यहां मलिक पाकिस्तान के पहले वित्त मंत्री और तीसरे गवर्नर जनरल बने।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह वो दौर था जब जेसी महिंद्रा और केसी महिंद्रा की कंपनी पर संकट छाया हुआ था। इनकी कंपनी के उपर सबसे बड़ा संकट यह था कि गुलाम ने अपनी हिस्सेदारी ले ली थी। जिसकी वजह से कंपनी का नाम बदलना मजबूरी थी, लेकिन वे ऐसा करना नहीं चाहते थे। इसलिए उन्होंने महिंद्रा एंड मोहम्मद नाम को बदलकर महिंद्रा एंड महिंद्रा कर दिया।
इसके बाद दोनों भाईयों ने महिंद्रा एंड महिंद्रा ग्रुप के तहत ऑटोमोबाइल पर काम करना शुरु किया। इसका आइडिया कैलाश महिंद्रा को विदेश में नौकरी के दौरान आया था। इस दौरान उन्होंने वहां अलग तरह की जीप देखी थी।
एम एंड एम के तहत केसी ने जीप का निर्माण शुरु किया। कुछ सालों की मेहनत के बाद महिंद्रा ब्रदर्स की यह कंपनी ऑटोमोबाइल सेक्टर की टॉप कंपनियों शामिल हो गई।
1991 में एमएंडएम ग्रुप की कमान के आनंद महिंद्रा के हाथों में आई और वे इस ग्रुप के डिप्टी डायरेक्टर बन गए।
गौरतलब है, आज महिंद्रा एंड महिंद्रा ग्रुप के पास जो संपत्ति है उसकी कुल कीमत 22 बिलियन है। इस ग्रुप का कारोबार 100 देशों में फैला हुआ है जहां पर इसकी 150 कंपनियां स्थापित हैं।