आमतौर पर अस्पताल का नाम सुनकर हमारे मन में एक ही तस्वीर बन जाती है वो है बेड पर लेटे मरीज, कॉरिडोर में बैठे परिजन, दवाईयों की अजीब सी महक और बाहर लगी लंबी लाइने। कई बार इन सब तस्वीरों को याद करके मन विचलित भी हो जाता है। ज़रा सोंचिये वो लोग कैसे रहते होंगे जो अपना पूरा जीवन इसी पेशे में खपा देते हैं।
इसके अलावा अस्पतालों में फैली गंदगी सबका ध्यान अवश्य की खींचती है लेकिन कोई भी इसे साफ करने की या करवाने की जहमत नहीं उठाता है। यही कारण है कि आज भी देश में कई ऐसे स्वास्थ्य केंद्र मौजूद हैं जिनमें इलाज के लिए जाने वाला व्यक्ति एक नई बीमारी लेकर चला आता है।

आज हम आपको एक ऐसे अस्पताल के विषय में बताने जा रहे हैं जिसे दुनिया की सबसे बेहतरीन नई इमारत का दर्जा दिया गया है। बता दें, यह इमारत हमारे पड़ोसी देश बांग्लादेश के एक गांव में स्थित है। इस अस्पताल को रॉयल इंस्टीट्यूट ऑफ़ ब्रिटिश आर्किटेक्ट्स ने दुनिया की सबसे बेहतरीन नई इमारत के खातब से नवाजा है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, दक्षिण-पश्चिमी बांग्लादेश के सतखिरा ज़िले के श्यामनगर गांव में एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बना हुआ है जिसका नाम फ़्रेंडशिप अस्पताल है। बताया जा रहा है कि बढ़ता समुद्री जलस्तर और तूफान की वजह से अक्सर इस गांव के लोग परेशान रहते हैं। इसकी वजह से अक्सर लोगों के घरों में भी पानी घुस जाता है। यही समस्या अस्पताल के साथ भी थी। अस्पताल परिसर में बारिश की वजह से पानी भर जाता था जिसकी वजह से मरीजों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था।
गौरतलब है, इस समस्या के निवारण के तौर पर यहां के डॉयरेक्टर काशेफ़ चौधरी ने एक ऐसा उपाय खोज कर निकाला है जिससे बारिश के पानी को स्टोर भी किया जा सकता है और उससे अस्पताल परिसर में गंदगी भी नहीं होगी।
जानकारी के अनुसार, 80 बेड्स के इस अस्पताल में एक नहर का निर्माण किया गया। यह नहर गांववासियों द्वारा बनाए हुए ईंटों से ही तैयार की गई है। इस विषय में जानकारी देते हुए चीज़ डायरेक्टर, काशेफ़ चौधरी ने बताय़ा कि, ‘हमने लोकल मटैरियल लगाए और लोकल कारीगरों से ही काम करवाया। इमारत के आस-पास गांव के लोग ही रहते हैं और हमें ये सुनिश्चित करना था कि वो इस जगह को स्वीकार करें।’
उन्होंने आगे कहा कि अस्पताल के अंदर से एक नहर जाती है जो अस्पताल के इनपेशियंट और आउटपेशियंट सेक्शन को विभाजित करती है। इसकी मदद से माइक्रोक्लाइमेटिक कूलिंग की जाती है और एयर कंडिश्निंग कूलिंग की ज़रूत नहीं पड़ती।
गौर करने वाली बात यह है कि इस नहर को मौसम में हो रहे परिवर्तन को ध्यान में रखते हुए किया गया है। काशेफ़ ने कहा कि, ‘एग्रीकल्चरल लैंडस्केप में बदलाव आ रहे हैं। बढ़ते समुद्री जलस्तर की वजह से लोग खेती-बाड़ी छोड़कर श्रिम्प फ़ार्मिंग कर रहे हैं। गांववालों के ज्ञान लेकर हमने अस्पताल का डिज़ाइन तैयार किया।’