कोरोना ने दुनिया में बहुत तबाही मचाई है। इस भयानक महामारी से जन-जीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त कर दिया। ऐसे में बहुत से परिवारों ने अपने करीबियों को खोया। ना जाने कितने बच्चे कोरोना की व्यापक लहर में अनाथ हो गए। इन पीड़ितों में जबलपुर की कृष्णा दास भी शामिल हैं। 70 वर्षीय बुजुर्ग महिला ने कोरोना की दूसरी लहर में अपने पति और इकलौती बेटी को खो दिया। इसके बावजूद इन्होंने हिम्मत नहीं हारी और उठकर दूसरों की मदद के लिए आगी आईं।
बता दें, शहर की मोक्ष संस्था के साथ मिलकर कृष्णा दास ने जरुरतमंदों की सहायता के लिए 16 लाख रुपये की एंबुलेंस दान दी है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बुजुर्ग महिला ने यह कदम अपने पति और पुत्री की आत्मा की शांति के लिए उठाया है। उन्होंने बताया कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान वे अस्पतालों की चौखट पर दर-दर भटकती रहीं लेकिन उनके बीमार पति और बेटी को जगह नहीं मिली।
मालूम हो, कृष्णा दास के पति का नाम एस. के. दास था। उनकी उम्र 71 वर्ष थी। उनकी एक ही पुत्री थी जिसका नाम सुदेशना दास था। उसकी उम्र 36 वर्ष थी। कृष्णा बताती हैं कि उनकी इकलौती बेटी सुदेशना मुंबई में सॉफ्टवेयर इंजीनियर थी। कोरोना की पहली लहर के दौरान वह जबलपुर आ गई और वर्क फ्रॉम होम करने लगी।
बुजुर्ग महिला ने आगे कहा कि 8 अप्रैल, 2021 को एस.के.दास बीमार हुए, जांच करवाने पर वे कोविड पॉज़िटिव पाए गए। बेटी और मेरी भी रिपोर्ट पॉज़िटिव आई। पूरा एक दिन घूमने के बाद भी हमें किसी अस्पताल में जगह नहीं मिली, आख़िर में विक्टोरिया अस्पताल में बेड मिला जिसमें मेरी बेटी को मैंने भर्ती करवाया। और मेरे पति आशीष अस्पताल में भर्ती थे।
कृष्णा ने बताती हैं कि 11 अप्रैल को उनकी बेटी की अचानक से तबीयत बिगड़ गई और 12 अप्रैल को उसकी मौत हो गई। कृष्णा कहती हैं कि वह दौर ऐसा था कि कोई आसपास आना तक मंजूर नहीं करता था। वे अपनी बेटी की मौत पर अकेले उसके शव के पास रोती रहीं। बाद में उनके पति के दोस्त एक पंडित को लेकर आए फिर कृष्णा ने खुद अपनी जवान पुत्री का अंतिम संस्कार किया।
उन्होंने बताया कि तब तक उनकी भी हालत खरबा हो चुकी थी इसलिए पुणे के एक रिश्तेदार ने उन्हें भी आशीष अस्पताल में भर्ती कराया। इसी अस्पताल में उनके पति भर्ती थे। कृष्णा ने बताया कि सुदेशना के गुज़रने के तीन दिन बाद 15 अप्रैल को उनके पति ने भी दुनिया को अलविदा कह दिया।
गौरतलब है, जब कृष्णा के पति की मौत हुई उस वक्त उनका अंतिम संस्कार करने के लिए कोई मौजूद नहीं था। उस वक्त मोक्ष संस्था ने कृष्णा के पति एस. के. दास का पूरे-विधान से अंतिम संस्कार किया। कृष्णा बताती हैं कि वे इस सामाजिक संस्था के साथ मिलकर उन लोगों की मदद करना चाहती हैं जिनका कोई नहीं है।