आजादी के 75 साल बाद भी देश में कई ऐसे गांव मौजूद हैं जहां लोग मूलभूत सुविधाओं के लिए दर-दर की ठोकरें खाते हैं। इन लोगों को आज भी शुद्ध पानी, बिजली आदि के लिए भटकना पड़ता है। सरकार ऐसे गावों की छवि बदलने के लिए लाख प्रयास करती है लेकिन धरातल तक पहुंचते-पहुंचते ये प्रसाय धराशायी हो जाते हैं।
आज हम आपको एक ऐसे गांव के विषय में बताने जा रहे हैं जहां के लोग किसी ज़माने में बूंद-बूंद पानी के लिए तरसते थे। वहां सूखा की वजह से लोग गांव से पलायन करने को मजबूर होते थे। हालांकि, अब इस गांव की तस्वीर सुधर चुकी है। अब यहां पानी की कोई समस्या नहीं है। यह सब सफल हो सका है आईएएस अधिकारी उमाकांत उमराव के प्रयासों से। उन्होंने मध्य प्रदेश के देवास नामक इस गांव की स्थिति को सुधारने में मुख्य भूमिका निभाई है।
आईएएस ने बदली गांव की तस्वीर
एक समाचार पत्र से साक्षात्कार के दौरान आईएएस उमाकांत उमराव ने बताया था कि, “जब मैं देवास का ज़िला कलेक्टर बनकर पहुंचा तो मुझे किन क्षेत्रों पर ज़्यादा फ़ोकस करना है इसका प्लान तैयार था। देवास पहुंचकर पता चला कि इलाके में एक बड़ी समस्या व्याप्त है। बीते तीन सालों से बारिश कम हुई थी। पहले हफ़्ते में मेरी जितनी मीटिंग हुई सबमें पानी की कमी पर ही चर्चा हुई। देवास शायद देश का पहला ज़िला था जहां ट्रेन से पानी पहुंचाया गया। ये लातूर से काफ़ी पहले की बात है।”

तैयार किया लाभकारी प्लान
अधिकारी ने बताया कि उन्होंने एक प्लान तैयार किया जिसमें बड़े किसान अपनी जमीन के 1/10वें या 1/20वें भाग में तालाब बनवाएं। इससे तालाबों में इकट्ठा किया गया पानी से न सिर्फ़ बड़े किसानों को बल्कि छोटे किसानों के लिए भी लाभकारी साबित होता था।
अब समस्या थी कि तालाब खुदवाने के लिए पैसों की व्यवस्था कैसे की जाए। इसके लिए कलेक्टर साहब ने पोप सिंह को लोन लेने के लिए बैंक भेजा, जहां उनकी काफी बेज्जती हुई। इसके बाद पोप सिंह दूसरी बैंक गए वहां उन्होंने अपनी समस्या बताई जिसपर बैंक ने 18 प्रतिशत ब्याज दर पर लोन देने की बात कही। पोप सिंह ने लोन ले लिया और बारिश के पानी को इकट्ठा करने के लिए तालाब खुदवाना शुरु कर दिया।
16000 से अधिक तालाब
धीरे-धीरे उन्हें देखकर अन्य किसानों ने भी यह काम शुरु कर दिया। आज देवास में 16000 से ज़्यादा तालाब बनाए जा चुके हैं। इन तालाबों से 1000 से अधिक किसान सालाना 25 लाख की कमाई कर रहे हैं। आज देवास में चारों-तरफ हरियाली ही हरियाली छाई हुई है। देवास में सिंचित भूमि 18000 हेक्टेयर से बढ़कर 4 लाख हेक्टेयर हो गई है।